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वर्ल्ड हार्ट डे (विश्व ह्रदय दिवस) पर विशेषः क्यों होता है औचक हार्ट अटैक…क्या हैं बचाव के तरीके

आजकल आए दिन युवाओं में औचक हार्ट अटैक से मौत की खबरें आती हैं। भारत एक युवा देश है। ऐसे में ये आवश्यक है कि हम ऐसी घटनाओं का आकलन करें और हो सके तो इन्हें रोकने का प्रयास करें।

इसके लिए जरूरी है कि हम युवाओं में कोरोनरी आर्टरी डिसीज (सीएडी) का लेखा-जोखा लें। अगर विशेषज्ञों की मानें तो असामयिक (प्रीमैच्योर) हार्ट डिसीज तब मानी जाती है जब वो पुरूषों में 55 वर्ष की उम्र से पहले हो और महिलाओं में 65 साल की उम्र से पूर्व हो। कई अध्ययनों में पाया गया कि औसत भारतीय में असामयिक दिल की बीमारी का अंदेशा अधिक होता है।

इंडियन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार भारत में युवाओं को दिल की बीमारी पश्चिमी देशों के मुकाबले जल्दी घेरती है। इसके लिए अनेक कारक जिम्मेदार हैं जैसे पर्याप्त रूप से सक्रिय न होना या अधिक बैठे रहना, मधुमेह, धूम्रपान, रक्तचाप, अधिक मदिरापान और तनाव। इन कारकों के कारण उन युवाओं को भी दिल की बीमारी घेर लेती है जिनमें प्रत्यक्ष रूप से ऐसे कोई लक्षण नहीं दिखाई देते।

प्रत्यक्षतः स्वस्थ दिखाई देने वाले लगभग 30 प्रतिशत लोगों में औचक हार्ट अटैक हो सकता है। युवाओं में हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाएं और उन से अनेक प्रभावितों की मृत्यु तक हो जाना भारत में बढ़ती दिल की महामारी की ओर संकेत देते हैं। भारत में संचारी रोगों (कम्युनिकेबल डिसीज) से गैरसंचारी रोगों की ओर बढ़त काफी तेजी से हुई है। वर्ष 1990 से 2010 के बीच असामयिक मृत्यु दर 60 प्रतिशत से अधिक बढ़ी। पहले ये 2.32 करोड़ थी पर अब ये 3.7 करोड़ है।

औचक हार्ट अटैक को समझना
औचक हार्ट अटैक में दिल बिना किसी चेतावनी के ही अचानक काम करना बंद कर देता है। दिल के इलैक्ट्रिकल सिस्टम में समस्या के कारण दिल की अनियमित धड़कनें उसे शरीर में खून पंप करने के महत्वपूर्ण कार्य से रोक देती हैं जिससे अचानक मृत्यु हो जाती है। इस प्रक्रिया से व्यक्ति को बचाने के लिए सिर्फ छह मिनिट का समय होता है। अगर छह मिनिट में उपचार हो जाए तो व्यक्ति बच सकता है वर्ना मौत ही परिणाम होती है। औचक हार्ट अटैक का जोखिम ऐसे लोगों में अधिक होता है जिन्हें आनुवांशिक रूप से दिल की बीमारी का खतरा होता है।

अगर हार्ट अटैक के छह मिनिट के भीतर ही मरीज को इलैक्ट्रिकल डिफ्रिबिलेशन (बिजली के झटके देना) के साथ कार्डियोपल्मोनरी रेसूसिटेशन (पुनर्जीवन) दिया जाए तो मरीज के बचने से संभावना बढ़ जाती है क्योंकि ये दिल को फिर से सक्रिय कर देते हैैं।

दिल की सेहत के लिए क्या करें
दिल की बीमारियों से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है स्वास्थ्यकारी जीवनशैली। जिन लोगों के परिवार में दिल की बीमारी वंशानुगत हो उन्हें व्यायाम संभल कर करना चाहिए। अंदर ही अंदर पलने वाली दिल की बीमारी को समय रहते पकड़ने के लिए जरूरी है नियमित अंतराल पर दिल की जांच। इससे समय रहते इलाज शुरू किया जा सकता है और औचक हार्ट अटैक से बचा जा सकता है।

सरकारी उपाय
तंबाकू पर कर बढ़ाना, संसाधित (प्रोसेस्ड) खाद्य पदार्थों में नमक की मात्रा में लगाम लगाना और जनसंख्या के रक्तचाप पर निगरानी रखना आदि कुछ ऐसे उपाय हैं जिनसे दिल की बीमारी का बोझ कम हो सकता है। अच्छी बात ये है कि सरकार इस दिशा में कदम भी उठा रही है। वर्ष 2023 के बजट में सिगरेट पर कर 16 प्रतिशत बढ़ाया है।
अगर औचक हार्ट अटैक जैसी बीमारियों पर नियंत्रण करना है तो जरूरी है कि 18 वर्ष की उम्र से ही लिपिड प्रोफाइल मैनेजमेंट शुरू किया जाए और बच्चों को खाद्य पदार्थों के बारे में सलाह-मशविरा स्कूल में ही नियमित रूप से दिया जाए।

 

यह लेख हिंदुस्तान टाइम्स में छपे प्रोफेसर (डॉक्टर) एम वली के लेख पर आधारित है। डॉक्टर वली सर गंगाराम अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार हैं।