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चिंताजनक! भारत है मधुमेह की राजधानी, एक तिहाई मरीजों को तो भनक भी नहीं, कहीं आप भी तो उनमें से नहीं?

दुनिया में मधुमेह के करीब 40 प्रतिशत मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा। विकासशील देशों में तो मधुमेह रोगियों की हालत बहुत खस्ता है क्योंकि एक तो इलाज के साधन कम हैं और दूसरे जो हैं वो बहुत महंगे हैं। इस वर्ष डायबिटीज ग्लोबल इंडस्ट्री ओवरवीव नामक सर्वेक्षण में ये तथ्य सामने आए।

सर्वेक्षण के अनुसार निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों मंे तो 75 प्रतिशत मधुमेह रोगियों को इलाज नहीं मिल पाता। इसका प्रमुख कारण ये है कि उनकी पहुंच स्वास्थ्य सेवाओं तक नहीं है। सर्वे के अनुसार अफ्रीका के 60 प्रतिशत और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के 57 प्रतिशत मधुमेह रोगियों को इलाज उपलब्ध नहीं है।

दुनिया में 533 कंपनियां मधुमेह के इलाज में विशेषज्ञता रखती हैं लेकिन इनमें से सिर्फ 33 ही अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया, और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में कार्यरत हैं।

वैश्विक स्तर पर असमानता
सर्वेक्षण के अनुसार गरीब देशों मे ंतो इंसुलिन की कीमत ही नागरिकों की औसत मासिक आय से अधिक है। अफ्रीकी देशों मे ंतो हालत इतनी खराब है कि वहां की आधी आबादी की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच ही नहीं है।

जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार
सर्वे के अनुसार मधुमेह के बढ़ते रोगियों के लिए जलवायु संकट भी जिम्मेदार है। अधिक गर्मी के कारण फसलों की पौष्टिकता कम हो रही है। पारंपरिक फसलें समाप्त हो रहीं हैं। वहीं शहरीकरण के कारण जीवनशैली बिगड़ने से टाइप – 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है।

भारत मधुमेह की राजधानी
विश्व में मधुमेह के सर्वाधिक रोगी भारत में हैं। इसी कारण से भारत को मधुमेह की राजधानी कहा जाता है। देश में इस वर्ष मधुमेह रोगियों की संख्या 10.1 करोड़ आंकी गई है। इनमें से करीब 3.6 करोड़ लोगों को तो ये पता ही नहीं है कि उन्हें इस रोग ने घेरा हुआ है। इसके चलते उनका इलाज भी नहीं हो पा रहा।
विश्व में मधुमेह के करीब 53.7 करोड़ मरीज हैं।

मधुमेह की लक्षण

  • बार बार पेशाब आना
  • नींद पूरी होने के बाद भी थकान अनुभव होना
  • बार-बार भूख लगना
  • वजन कम होना

National International News Network (NIN Network)