hat is the Average age a Child Starts Walking: अपने बच्चे के पहले कदम देखने के लिए हम पेरेंट्स की आंखें तरस जाती हैं।
पेरेंट्स बनने के बाद न्यू मॉम और डैड इसी इंतजार में रहते हैं कि कब उनका बच्चा बोलना और चलना सीखेगा। लगभग 2 महीने से मैं भी ऐसे ही वक्त का इंतजार कर रही हूं। जब से मेरे बेटे ने घुटनों के सहारे चलना सीखा है मैं बस उस दिन का इंतजार कर रही हूं जब वो दौड़कर मेरे पास आ जाएगा और गले लगा लेगा। अब बच्चे तो सही उम्र में ही चलना सीखेगें और यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उनका शारीरिक और मानसिक विकास सही तरीके से हो रहा है या नहीं? लेकिन सवाल तो यह है कि आखिरकार बच्चों के पैरों के बल चलने की सही उम्र है क्या? मेरी ही तरह अगर भी न्यू मॉम हैं तो आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब।
क्या है बच्चों के चलने की सही उम्र?
इंस्टाग्राम पर बच्चों की डॉक्टर हैंडल से डॉ. माधवी भारद्वाज ने इस विषय पर जानकारी देते हुए एक वीडियो पोस्ट किया है। एक छोटे बच्चे के साथ बात करते हुए वीडियो में डॉ. माधवी कहती हैं कि बच्चों के चलने की सही उम्र 9 से 18 महीने के बीच होती है। कुछ बच्चे ज्यादा एक्टिव होते हैं और कई फैक्टर्स की वजह से 8 महीने में ही चलना शुरू कर देते हैं। वहीं, कुछ बच्चे थोड़ा देरी से चलना शुरू करते हैं। डॉक्टर का कहना है कि 18 महीने तक बच्चों का चलना सामान्य है। जिनके बच्चे 10 से 12 महीने के हो गए हैं और अब तक चलना नहीं सीख पाए हैं तो उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है।
बच्चे चलना कैसे सीखते हैं?
डॉक्टर का कहना है कि बच्चों को चलना सीखाना पेरेंट्स का काम होता है। जब बच्चे घुटनों के बल चलने लगे और सही पोजीशन में बैठने लगे तो उन्हें पहले धीरे-धीरे खड़े होने की प्रैक्टिस करवानी चाहिए। आइए 5 स्टेप में जानते हैं बच्चों को चलना कैसे सिखाए।
पैरों के बल चलना सीखते वक्त बच्चे पहले सिर के बल उठना सिखते हैं। यह प्रक्रिया अमूनन बच्चे 2 महीने से शुरू कर देते हैं और धीरे-धीरे बढ़ाते हैं।
जब बच्चा 4 से 5 महीने का होता है तो आगे पीछे रोल करना सीखता है। कई बार वह पूरी बॉडी को ही पलटने लगता है। इस प्रक्रिया को बच्चा अगर बार-बार दोहरा रहा है तो मान लीजिए अब उसके चलने का वक्त आ रहा है।
7 से 8 महीने का होने पर बच्चा घुटनों के बल चलना शुरू कर देता है। घुटनों के बल चलने की वजह से बच्चों की शारीरिक गतिविधि काफी बढ़ जाती है।
जैसे ही बच्चा एक बार घुटनों के बल चलना शुरू कर देता है तब वह सहारे के साथ खड़े होने की कोशिश करता है। ऐसे में पेरेंट्स का फर्ज है वो बच्चों के हाथ थामे और चलना सिखाएं।
एक बार बच्चा सहारे के साथ खड़ा होना सीख जाए तो फिर वह धीरे-धीरे हाथ और दीवार को पकड़कर चलना सीखता है। कई बार चलना सीखते वक्त बच्चे गिर जाते हैं और डरने लगते हैं। ऐसे में पेरेंट्स का बच्चे के ईर्द-गिर्द रहना बहुत जरूरी है।