ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकने के लिए मीठा न खाने की सलाह दी जाती है। यूं तो डायबिटीज़ के मरीजों को चीनी खाने से रोका जाता है। मगर क्या क्रिस्टल शुगर यानि मिश्री उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। आइए जानते हैं क्या कहते हैं एक्सपर्ट
आमतौर पर रसोई में पाई जाने वाली मिश्री कई तरह से इस्तेमाल की जाती है। कभी सौंफ में मिलाकर बतौर माउथ फ्रेशनर (Mishri as a mouth freshener) खाई जाती है तो कभी बार बार आने वाली खांसी के दौरान इसका सेवन किया जाता है। क्रिस्टल के समान दिखने वाली मिश्री पूरी तरह से अनरिफांइड होती है। यूं तो डायबिटीज़ के मरीजों को चीनी खाने से रोका जाता है। मगर क्या क्रिस्टल शुगर (crystal sugar) यानि मिश्री उनके लिए फायदेमंद (Mishri in diabetes) साबित हो सकती है। आइए जानते हैं क्या कहते हैं एक्सपर्ट।
मिश्री चीनी से कैसे है अलग (How Crystal sugar is different from table sugar)
इस बारे में डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि विटामिन और मिनरल से भरपूर मिश्री एक अनरिफांइड फॉर्म ऑफ शुगर है। इस कंसेस्ट्रेटेड स्वीटनर को शुगर के समान कई प्रोसेस से नहीं गुज़रना पड़ता है। ये एक एल्कालाइन फूड है। एक से दो दाने मिश्री खाने से पेट भरा हुआ लगने लगता है। इसे शुगर से रिप्लेस करने की जगह इसे सीमित मात्रा में खाने से शुगर क्रेविंग (sugar craving) से बचा जा सकता है। दिनभर में 5 से 10 ग्राम मिश्री का सेवन किया जा सकता है।
कैसे बनाई जाती है मिश्री (How to prepare Mishri)
गन्ने के रस से मिश्री को बनाया जाता है। रस को पानी में डायल्यूट करके मिश्री को बनाया जाता है और ये क्रिस्टल की फॉर्म में दिखने लगती है। इसे चीनी के समान केमिकल्स से रिफाइन करने की जगह रॉ फॉर्म में प्रयोग किया जाता है। मिश्री तीन प्रकार की होती है। एक धागे वाली, दूसरी क्रिस्टलाइज़ लंप्स और तीसरी छोटे क्रिस्टल फॉर्म में पाई जाती है।
जानें मिश्री किस प्रकार से है सेहत के लिए फायदेमंद (Benefits of Mishri)
1. डाइजेशन को करे इंप्रूव
मिश्री एक अल्कलाइन फूड है। इसे खाना खाने के बार 1 से 2 दाने खाने से न केवल शुगर क्रेविंग को कम किया जा सकता है बल्कि डज्ञइजेस्टिव जूसिज़ भी स्टीम्यूलेट होने लगते हैं। इसके चलते खाने के बाद ब्लोटिंग और अपच की समस्या से बचा जा सकता है। एक ओर शुगर की गिनती एसिडिक फूड में की जाती है, तो मिश्री पूरी तरह से रसायनों से मुक्त होती है। इसे कम मात्रा में खाना चाहिए।
2. शरीर में एनर्जी को बढ़ाए
थकान महसूस करने के दौरान मिश्री का सेवन करने से शरीर को कार्ब्स की प्राप्ति होती है। इससे शरीर में सेल्स, टिशूज और बॉडी ऑर्गन्स को एनर्जी की इंस्टेंट प्राप्ति होती है। सीमित मात्रा में दसका सेवन करने से शरीर के वज़न को मेंटेन रखा जा सकता है।
3. माउथ फ्रेशनर के रूप में होती है इस्तेमाल
सदियों से मील्स के बाद सौंफ और मिश्री को मिलाकर खाने की रिवायत यूं ही चली आ रही है। इससे न केवल मुंह में अनहेल्दी बैक्टीरिया से राहत मिलती है बल्कि सांस की दुर्गंध को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
4. गले की खराश करे दूर
क्रिस्टल शुगर में ग्लाइकोलिक एसिड पाया जाता है। इससे गले में बढ़ने वाले संक्रमण की रोकथाम में मदद मिलती है। बार बार आने वाली खांसी को दूर करने के लिए मिश्री का सेवन करें। इससे शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ने लगता है और ब्लड सर्कुलेशन उचित बना रहता है।
पर मिश्री के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं (Side effects of Mishri)
1. डायबिटीज़ के खतरे को बढ़ाए
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिर्पोट के अनुसार केमिकल्स से मुक्त मिश्री पूरी तरह से शुगर की प्योरेस्ट फॉर्म है। शुगर सिरप से तैयार होने के चलते मिश्री का ग्लाइसेमिक इंडैक्स भी नॉर्मल शुगर के समान होता है। इसका अत्यधिक इस्तेमाल शुगर लेवल को बढ़ा सकता है। वे लोग जो डायबिटीज़ से ग्रस्त हैं, उन्हें मिशरी को आहार में मॉडरेट ढंग से प्रयोग किया जाना चाहिए। इससे स्वाद और सेहत दोनों बने रहते हैं।
2. ओरल हेल्थ को पहुचाएं नुकसान
रोज़ाना मिशरी का ज्यादा सेवन करने से दांतों में कैविटी की समस्या बढ़ने लगती है। इससे दांतों में दर्द और मसूढ़ों की सूजन बढ़ सकती है। ऐसे में नियमित रूप से इसका सेवन करने की जगह कभी कभार आवश्यकतानुसार सेवन करना चाहिए। इससे ओरल हेल्थ मज़बूत बनी रहती है।