Overall Health

वायु प्रदूषण एथेरोस्क्लेरोसिस की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे आर्टरीज़ की वॉल्स में प्लाक बनने लगता है। इससे हृदय गति प्रभावित होती है और हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है।

प्रदूषण का बढ़ता स्तर सांस संबधी समस्याओं के अलावा हृदय रोगों के जोखिम को भी बढ़ा रहा है। वातावरण में मौजूद हानिकारक कण सांस के माध्यम से शरीर के अन्दर प्रवेश करने के बाद हृदय रोग, सांस लेने में तकलीफ और कैंसर सहित अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ा देतो है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल प्रदूषण से 7 मीलियन लोगों की मौत होती है। खराब एयरक्वालिटी से हृदय की ब्लड को पंप करने की क्षमता कम होने लगती है, जिससे हृदय रोगों का संकट बढ जाता है। जानते हैं एयर पॉल्यूशन किस तरह से बढ़ाता है हृदय रोगों का जोखिम (air pollution effect on heart)।

प्रदूषण का हृदय स्वास्थ्य पर प्रभाव (How air pollution effect on heart)
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिसर्च के अनुसार वायु प्रदूषण एथेरोस्क्लेरोसिस की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे आर्टरीज़ की वॉल्स में प्लाक बनने लगता है। कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और वसा से प्लाक बनने लगता है, जो हृदय में रक्त के प्रवाह को बाधित कर देता है। इससे हृदय गति प्रभावित होती है और हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। प्रदूषण से हार्ट हेल्थ को नुकसान पहुंचने के अलावा डायबिटीज़ का खतरा भी बना रहता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हवा में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड हेल्थ रिस्क को बढ़ाती हैं। इसके अलावा हवा में घुले जहरीले कण फेफड़ों में पहुंचकर रक्त प्रवाह में प्रवेश करते हैं। इससे टिशूज़ और रेड ब्लड सेल्स को नुकसान का सामना करना पड़ता है। लंबे समय तक महीन पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में रहने से व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और कैंसर जैसी बीमारियों का जोखिम बना रहता है।

इस बारे में यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी के प्रिंसिपल कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी,डॉ. असित खन्ना ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर हार्ट पर दिखता है। पीएम, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषक जो गाड़ियों के धुएं फैक्ट्रियों और ईंधन जलाने से निकलते हैं, शरीर में जाकर दिल की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।

जानें प्रदूषण कैसे हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है (Side effects of pollution on heart)
1. हार्ट अटैक का जोखिम
ये प्रदूषक सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचकर खून में मिल जाते हैं। ये नसों पर असर डालते हैं, जिससे सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ने लगता है। यह नसों में फैट जमा होने का कारण बनता है, जो दिल की बीमारियों और हार्ट अटैक की वजह बन सकता है। लंबे समय तक इन प्रदूषकों के संपर्क में रहने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

2. दिल की धड़कन का बढ़ना
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड सेहत पर बुरा असर डालते हैं। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, जो गाड़ियों और पावर प्लांट से निकलती है। फेफड़ों को कमजोर करती है और दिल पर अधिक दबाव बनाए रखती है। वहीं, कार्बन मोनोऑक्साइड खून में ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता को कम कर देती है, जिससे दिल और शरीर के अन्य हिस्सों को सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। यह दिल की धड़कन को अनियमित कर सकता है और दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है।

3. कोलेस्ट्रॉल का स्तर असंतुलित हो जाना
युनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन की रिसर्च के मुताबिक लगातार धुएं और धूल मिट्टी के संपर्क में रहने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगता है। प्रदूषण के चलते शरीर में हाई डेंसिटी लिपो प्रोटीन यानि गुड कोलेस्ट्रॉल में कमी आने लगती है। इससे हृदय संबधी अनय समस्याओं के अलावा बैड कोलेस्ट्रॉल तेज़ी से बढ़ने लगता है।

4. ब्लड वेसल्स को करे संकुचित
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार एयरबॉर्न पार्टिक्यूलेट मैटर से हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इससे ब्लड वेसल्स संकुचित होने लगती है और रक्त का प्रवाह असंतुलित हो जाता है। इसके अलावा ब्लडप्रेशर में वृद्धि, रक्त के थक्के जमना, कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज और स्ट्रोक का खतरा बना रहता हैं। बच्चे, बुजुर्ग और हार्ट के मरीज वायु प्रदूषण के असर से ज्यादा प्रभावित होते हैं।

किन टिप्स की मदद से इस समस्या को दूर किया जा सकता है (How to reduce harm of pollution on heart)

  • गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करना गले की सूजन को कम करता है और राहत देता है। दिन में दो बार गरारे करने से बले में मौजूद संक्रमण को दूर किया जा सकता है।
  • अदरक व शहद की चाय पीने से गले में आराम मिलता है और बलगम साफ होता है। इससे फेफड़ों में बढ़ने वाले संक्रमण से बचाव होता है और म्यूक्स का उत्पादन कम होने लगता है।
  • इनडोर पॉल्यूशन से खुद को बचाव करनेअ के लिए घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और इनडोर प्लांटस भी लगाएं। इसके अलाव बाहर निकलते समय मास्क लगाना न भूलें।
  • नीलगिरी या पेपरमिंट जैसे तेलों के साथ भाप लेने से सांस की तकलीफ में राहत मिलती है और फेफड़े साफ होने लगते हैं।
  • शरीर को निर्जलीकरण से बचाने का प्रयास करें। इससे गले में दर्द और खराश कम होती है। ज्यादा पानी पिएं ताकि गला और फेफड़े नम बने रहें और सेहत ठीक रहे।



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