Overall Health

विटामिन्स और मिनरल्स दोनों ही हमारी सेहत के लिए जरूरी हैं। ये दोनों पोषक तत्व शरीर को हेल्दी और स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं। हालांकि कम लोगों को भी इनमें अंतर पता होता है। क्या आपको पता है बार-बार डॉक्टरों या एक्सपर्ट द्वारा इस्तेमाल होने वाले इन दोनों ही माइक्रोन्यूट्रिएंट्स में क्या फर्क है। आइए जानते हैं।

नई दिल्ली। इंसानी शरीर को अपने सभी प्रकार के फंक्शन को पूरा करने के लिए लगभग 30 प्रकार के विटामिन्स और मिनरल्स की जरूरत होती है। कई बार हमारे डॉक्टर भी हमें विटामिन की कुछ दवाएं या सिरप लिखकर देते हैं।
साइंस के अनुसार विटामिन्स पौधों और जानवरों से मिलता है, जबकि मिनरल्स का स्रोत मिट्टी और पानी है। आखिर ये माइक्रोन्यूट्रिएंट्स होते क्या हैं और इनमें फर्क क्या है, आइए जानते हैं।

विटामिन्स की अनोखी दुनिया
विटामिन्स हमारे खाने में पाया जाने वाला एक बेहद ही छोटा पदार्थ है। ये ऑर्गेनिक है, जिसका प्रोडक्शन जानवर और पौधे करते हैं। इसलिए हमें विटामिन के बेहतर स्रोत वाली सब्जियां, फल, मीट और डेयरी प्रोडक्ट्स खाने की सलाह दी जाती है। पानी में इसकी घुलनशीलता और बॉडी में स्टोर होने के तरीके के आधार पर इसे दो मुख्य टाइप में बांटा गया है:

  • पानी में घुल जाने वाले विटामिन्स: इस तरह के विटामिन्स पानी में घुल जाते हैं और बॉडी में स्टोर नहीं होते। ये अपना काम पूरा करते हैं और खत्म हो जाते हैं। इस तरह के नेचर की वजह से ही आपको ऐसे विटामिन्स लगातार अपनी डाइट में लेने की जरूरत पड़ती है। इसमें विटामिन C, B2, B6, B12 और फॉलिक एसिड शामिल हैं।
  • फैट में घुलने वाले विटामिन्स: इस तरह के विटामिन्स फैट में घुलते हैं और आपकी बॉडी में फैटी टिशूज व लिवर में बाद के इस्तेमाल के लिए स्टोर हो जाते हैं। चूंकि, ये स्टोर हो सकने वाले विटामिन हैं, इसलिए आपको इन्हें रोज डाइट में लेने की जरूरत नहीं। A, D, E और K ऐसे ही विटामिन्स की कैटेगरी में आते हैं।

मिनरल्स कैसे आते हैं हमारे काम
मिनरल्स धरती के काफी नीचे पाए जाते हैं और इसके कई प्रकार हैं। ये ऑर्गेनिक नहीं होते, जिसका मतलब है कि इसका स्रोत नॉनलिविंग है। दरअसल, मिनरल्स को पौधे अवशोषित कर लेते हैं या जानवरों द्वारा इन्हें खाया जाता है, जिसे बाद में हम इन्हें लेते हैं या दूसरे तरह के प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल करते हैं।

ये दो टाइप का होता है
मैक्रोमिनरल्स: मैक्रो का मतलब होता है बड़ा, इसलिए हमारे शरीर को हेल्दी रखने में इनकी भूमिका ज्यादा बड़ी होती है। शरीर को इस तरह के मिनरल्स की जरूरत ज्यादा मात्रा में होती है। कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम और सोडियम ऐसे ही मिनरल्स हैं।

माइक्रोमिनरल्स: माइक्रो का मतलब है, छोटा और आपकी बॉडी को इसकी कम मात्रा में जरूरत होती है। इस तरह के मिनरल्स में जिंक, आयोडीन, सेलेनियम, कॉपर, मैगनीज और फ्लोराइड आते हैं।

हर विटामिन अलग-अलग काम
विटामिन-ए जहां आपकी आंखों और स्किन को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है, तो वहीं विटामिन-सी घावों को ठीक करने और इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में। बी-विटामिन्स आपके खाने से एनर्जी का इस्तेमाल कर, रेड ब्लड सेल्स बनाने और आपके दिमाग व नसों को दुरुस्त रखने का काम करते हैं।

जबकि विटामिन-डी, आपकी हड्डियां मजबूत बनाता है और आपकी बॉडी को कैल्शियम का इस्तेमाल करने में मदद करता है। विटामिन-ई स्किन को हेल्दी रखता है और सेल्स को डैमेज होने से भी बचाता है। वहीं, विटामिन-के ब्लड क्लॉट में हेल्प करता है और इस वजह से चोट लगने पर आप ज्यादा ब्लड लॉस से बच पाते हैं।

क्यों जरूरी है मिनरल्स
आपका शरीर बेहतर तरीके से काम करे और विकसित हो, उसके लिए मिनरल्स अपना काम बखूबी निभाते हैं। कैल्शियम जहां हड्डियों और दांतों को मजबूती देता है, वहीं ब्लड शुगर को बनाए रखने में क्रोमियम अहम भूमिका निभाता है। आयोडीन थायरॉइड की सेहत और ब्रेन के विकास में मददगार होता है। आयरन आपकी बॉडी को ऑक्सीजन देकर एनर्जी के स्तर को बनाए रखता है। ऐसे ही कई और मिनरल्स हैं जो आपकी सेहत में अहम भूमिका निभाते हैं।

क्या होते हैं मल्टीविटामिन्स?
एक ऐसी डाइट जिसमें सारी सब्जियां, फल और साबुत अनाज, अच्छा प्रोटीन और हेल्दी फैट्स शामिल हों आपकी हेल्थ की जरूरतों को पूरा करते हैं। लेकिन हर कोई इतनी हेल्दी डाइट नहीं ले पाता। उस स्थिति में मल्टीविटामिन्स अपनी भूमिका निभाते हैं और पोषण की उन जरूरतों को पूरा करते हैं, जो आपके खाने से पूरी नहीं हो पा रही होती है।

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