जब भी मेनोपॉज की बात आती है उसे महिलाओं को होने वाले हॉट फ्लैशेज और मूड स्विंग से जोड़कर देखा जाता है। हालांकि पुरुषों में भी यह समस्या देखने को मिलती है। उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में भी इसी तरह के हॉर्मोनल बदलाव देखने को मिलते हैं। आइए जानते हैं क्या वाकई पुरुषों को भी मेनोपॉज होता है?
नई दिल्ली। उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में भी हॉर्मोनल बदलाव होते हैं, जिसे कई बार मेल मेनोपॉज की तरह भी देखा जाता है। हालांकि, पुरुषों में इसे उम्र की वजह से हॉर्मोन के स्तर में होने वाले बदलाव के रूप में जाना जाता है। क्लीनिकल भाषा में कहें तो इसे बढ़ती उम्र के पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन की कमी, एंड्रोपॉज या एंड्रोजन के गिरते स्तर जैसी समस्याएं नजर आने लगती है। कुछ पुरुषों में ही थकान या मूड में बदलाव जैसे लक्षण नजर आते हैं। ऐसे में एलांटिस हेल्थकेयर नई दिल्ली में ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी के चेयरमैन और एचओजी डॉ. मन्नन गुप्ता से जानते हैं पुरुषों में होने वाली इन समस्याओं की असल वजह।
पुरुषों में धीमी गति से होते हैं ये बदलाव
पुरुष और महिला मेनोपॉज की बायोलॉजिकल प्रक्रिया में काफी अंतर होता है। एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रॉन के स्तर में गिरावट की वजह से महिलाओं में मेनोपॉज होता है। इसका मतलब है महिलाओं में माहवारी या पीरियड्स और गर्भधारण की क्षमता का खत्म हो जाती है। वहीं, पुरुषों में अचानक इस तरह का हॉर्मोनल बदलाव नहीं होता है। उनमें टेस्टोस्टेरॉन का स्तर धीरे-धीरे कम होता है।
पुरुष और महिला दोनों को ही होता है मूड स्विंग
दोनों में मूड चेंज होता है और सेक्सुअल फंक्शन भी कम हो जाता है। हालांकि, दोनों में ही इसके समय और तीव्रता में काफी अंतर हो सकता है। मिडलाइफ का ये बदलाव महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में रहस्यमयी होता है।
हर साल घटता जाता है टेस्टोस्टेरॉन का स्तर
पुरुषों के सेक्सुअल फंक्शन के लिए टेस्टोस्टेरॉन सबसे प्रमुख हॉर्मोन माना जाता है। उम्र बढ़ने के साथ इसका कम होना सामान्य बात है। ये अचानक नहीं होता, बल्कि धीरे-धीरे होता है। 40 की उम्र के बाद इसका स्तर हर साल ही लगभग एक प्रतिशत तक कम होना शुरू हो जाता है। इसके कम होने के पीछे कई सारे कारण हैं जैसे जेनेटिक्स, रहन-सहन का तरीका और सेहत।
मोटापा, डायबिटीज जैसी क्रॉनिक बीमारियों में भी टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम हो सकता है।
- मेल मेनोपॉज के ये होते हैं लक्षण
- इरेक्शन तक न पहुंच पाना या उसे बनाए न रख पाना
- सेक्स की अनिच्छा और इनफर्टिलिटी
- डिप्रेशन, थकान या इन्सोम्निया
- बॉडी फैट बढ़ जाना, मसल मास और हड्डियों की डेंसिटी कम हो जाना
लो टेस्टोस्टेरॉन के लिए डॉक्टर को दिखाएं
टेस्टोस्टेरॉन का कम स्तर किन वजहों से हो रहा है, इसे जानने के लिए आपको सबसे पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। ब्लड टेस्ट के जरिए इस तरह के लक्षणों का पता लगाया जा सकता है। लाइफस्टाइल से जुड़ी ये बातें आपके लिए फायदेमंद हो सकती हैं-
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करें
- संतुलित डाइट लें
- अच्छी और सुकूनभरी नींद लें
- स्ट्रेस को मैनेज करें
- शराब और सिगरेट से बचें
- रेगुलर चेक-अप कराएं
- परिवार और दोस्तों से बात करें और खुलकर हंसें।